डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सरदार बल्लभाई भाई पटेल में गहरी दोस्ती थी , दोनों ने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया . सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने जीवन में देश के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए. रियासतों में को देश में मिलाना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है .
पटेल जी और राजेंद्र जी ने साथ मिलकर संविधान के कई अध्यायों को सही रंग दिलवाया . राजनीतिक सफर में भी दोनों एक दूजे का साथ देते थे और ये सफर पटेल जी के मृत्यु के बाद भी राजेंद्र प्रसाद जी ने जारी रखा .
जब राष्ट्रपति का पद के लिए कांग्रेस और देश की आबादी डॉ बाबू के लिए एक मत थी तो एक धड़ा , डॉ राजेंद्र बाबू और पटेल की दोस्ती में झूठ बोलकर , डॉ बाबू से ही पद के ग्रहण को नकरवाने का षड्यंत्र रच चुका था परन्तु गहरी भरोसेमंद दोस्ती के कारण ये गलतफहमी हो न सकी और बाद में डॉ बाबू ने राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया और उसी सरकार में सरदार वल्लभभाई पटेल को कैबिनेट मिनिस्टर ( डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर ) का शपथ भी दिलवाया.
हालांकि कुछ ही महीनों के बाद पटेल जी की मृत्यु हो गई और उनका स्वप्न सोमनाथ मंदिर का निर्माण उनके जीवन काल में शुरू हो ना सका , लेकिन अगले ही साल 2 मई 1951 में इसके निर्माण की शुरुआत हुई , ट्रस्ट के तरफ से तब के खाद्य मंत्री ( जिन्होंने सोमनाथ मंदिर के निर्माण कार्य के लिए पटेल जी को प्रेरित किया था और पटेल जी के साथ इस कार्य को पूरा करने की चाहत थी , महात्मा गांधी जी के सुझाव के बाद ही ट्रस्ट का निर्माण किया गया था और मुंशी जी को प्रमुख बनाया गया था ) तब के राजनीति और कांग्रेस में शक्तिशाली व्यक्ति ने सोमनाथ मन्दिर के निर्माण को और इसके शुभारंभ को मुंशी जी को रोकने कह दिया था , और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी को भी उद्घाटन में शामिल ना होने के लिए चिट्ठी भी लिखी थी , परन्तु वो शामिल हुए और भाषण भी दिया था जिसमें सरदार पटेल जी का ज़िक्र भी किया. उस वक़्त ऑल इंडिया रेडियो पर इसका प्रसारण नहीं होने दिया गया था , वो भी संलग्न कर रहा हूं.